देश में लॅाकडाउन के दो माह बीतने को हैं लेकिन प्रवासी मजदूरों के पलायन का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. हर राज्य सरकार के अपने अपने दावे हैं कि वह अपने राज्यों में प्रवासी मजदूरों के लिए हर तरीके का बंदोबस्त किए हुए हैं लेकिन मजदूरों की ज़बान पर हकीकत कुछ और ही है. देश के बड़े बड़े शहरों से पलायन लगातार हो रहा है. उत्तर प्रदेश व बिहार के मजदूरों की संख्या सबसे अधिक है.
जिसमें बेबस मजदूर पलायन को मजबूर हैं. रेलवे द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेन भी चलाई गई है लेकिन मजदूरों की संख्या इतनी ज्यादा है कि जितनी ट्रैन चल रहीं है सबको टिकट मिलपाना मुमकिन नहीं है इसी कारण मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल रहे है ओर एक कारण ये भी है कि एक तरफ तो सरकार देशवासियों के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज का एलान कर रही है लेकिन मजदूरों से टिकट का पैसा लिया जा रहा है कई मजदूरों के पास टिकट खरीदने के लिए पैसा तक नहीं है. इस कारण भी मजदूर पैदल ही अपने घर जाने के लिए मजबूर है
देश में हर दिन दिल दहला देने वाले हादसों की खबरें सामने आ रही हैं, कई मजदूर घर वापिस जाते हुए सड़क हादसों का शिकार हो गए, लेकिन सरकार उनको संवेदना के सिवा कुछ नहीं दे पा रही है. औरेय्या में हुए हादसे के बाद सरकार पर दबाव बढ़ा तो उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क पर पैदल चलने को प्रतिबंधित कर दिया और सभी जिलों को निर्देश दिया कि इनके लिए उचित बंदोबस्त करके इनके गृहनगर तक इनको पहुंचा दिया जाए. लेकिन मजदूरों की वापसी के लिए को विशेष बंदोबस्त नहीं किया गया. इसी बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा और मजदूरों को घर वापिस भेजने के लिए 1000 बसों को चलाने की अनुमति मांगी गई ताकि जो लोग पैदल ही अपने घरों की ओर जा रहे हैं प्रियंका गांधी के अनुरोध को स्वीकारते हुए कहा कि वह जल्द से जल्द सभी 1000 बसों के नंबर और ड्राइवर सहित तमाम कानूनी दस्तावेज सरकार को सौंप दें.
प्रियंका गांधी की ओर से दिए गए नंबरों में कुछ तीन पहिए वाहन निकले और कुछ दोपहिया वाहनों के इसी को मुद्दा बनाकर पूरी भाजपा कांग्रेस और प्रियंका गांधी को घेरते हुए मैदान में आ गई जबकी कांग्रेसियों से इसपर जवाब देते नहीं बन रहा तो कांग्रेसी कह रहे हैं जिन 879 बसों की जानकारी पूरी दी गई है कम से कम उसे तो चलाया जाए ताकि कुछ मजदूरों को ही सही राहत तो मिले. लेकिन योगी सरकार किसी भी कीमत पर प्रियंका की मंशा को घेरने की कोशिश में लगी हुयी है तो वहीं प्रियंका गांधी भी अपनी हर कोशिश करके बसों को चलवाना चाहती हैं ताकि उत्तर प्रदेश में वह कांग्रेस की जड़ों में नमी पैदा कर सकें. उत्तर प्रदेश में बसों को लेकर जो राजनीति हो रही है उसका शिकार अगर कोई हो रहा है तो वह बेबस मजबूर है.